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Mahak Sharma

Abstract

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Mahak Sharma

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खुदा करे

खुदा करे

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हम नादान बने सिर्फ तुम्हारे लिए,

खुदा करे कि तुम भी नादां बनो कभी हमारे लिए।


हम सहरा बने सिर्फ तुम्हारे लिए,

खुदा करे कि तुम भी सुबह बनो कभी हमारे लिए।


हम परछाई बने सिर्फ तुम्हारे लिए,

खुदा करे कि तुम भी साया बनो कभी हमारे लिए।


हम आईना बने सिर्फ तुम्हारे लिए,

खुदा करे कि तुम भी अक्स बनो कभी हमारे लिए।


हम रंगत बने सिर्फ तुम्हारे लिए,

खुदा करे कि तुम भी अबीर बनो कभी हमारे लिए।


हम आशियां बने सिर्फ तुम्हारे लिए,

खुदा करे कि तुम भी बसेरा बनो कभी हमारे लिए।


हम खामोशी बने सिर्फ तुम्हारे लिए,

खुदा करे कि तुम भी आवाज़ बनो कभी हमारे लिए।


हम आसमाँ बने तुम्हारे लिए,

खुदा करे कि तुम भी जन्नत बनो कभी हमारे लिए।


हम एहसास बने सिर्फ तुम्हारे लिए,

खुदा करे कि तुम भी जज़्बात बनो कभी हमारे लिए।


हम रास्ता बने सिर्फ तुम्हारे लिए,

खुदा करे कि तुम भी राब्ता बनो कभी हमारे लिए।


हम तुम-से बने सिर्फ तुम्हारे लिए,

खुदा करे कि तुम भी हम-से बनो कभी हमारे लिए।


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