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Kamesh Gaur

Drama

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Kamesh Gaur

Drama

उम्र

उम्र

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मैं अपनी उम्र  बताना नहीं चाहता हूँ,

जब भी यह सवाल कोई पूछता है,

मैं हैरान हो जाता हूँ,


ऐसा नहीं कि मैं अपनी 

उम्र बताना नहीं चाहता पर 

वास्तविकता 

तो यह है कि,


मैं उम्र के हर पड़ाव को,

जीवंत जीना चाहता हूँ,

इसलिए जवाब नहीं दे पाता हूँ,


मेरे हिसाब से तो उम्र,

मात्रा एक संख्या ही है,

जब मैं बच्चो के साथ बैठकर 

मोबाइल से खेलता हूँ,


उन्हीं की तरह हम उम्र हो जाता हूँ,

उन्हीं की तरह खुश होता हूँ,

मैं भी तब बच्चा होता हूँ,


जब किसी गाने की धुन में पैर थिरकाता हूँ,

तब मैं अल्हड़ युवक बन जाता हूँ।

जब बड़ो के पास बैठ कर उनकी सुनता हूँ,

तब उनकी ही तरह परिपक्व सोचने लगता हूँ।


जब बुजुर्गों की सफेदी में किस्से कहानी 

सुनता हूं तो उनके जैसा अप्रतिम अनुभव 

संजो लेता हूं।

दरअसल मैं एक साथ,

हर उम्र को जीना चाहता हूँ।


इसमें गलत ही क्या है ?

क्या कभी किसी ने,

सूरज की रौशनी, या,

चाँद की चांदनी, से उम्र पूछी ?


या फिर खल खल करती,

बहती नदी की धारा से उम्र

फिर मुझसे ही क्यों ?


बदलते रहना प्रकृति का नियम है,

मैं भी अपने आप को,

समय के साथ बदल रहा हूँ,

आज के हिसाब से, अपने को 

ढालने की कोशिश कर रहा हूँ,


कितने साल का हो गया मैं,

यह सोचना भी व्यर्थ ही है।

जितनी उम्र और बची है, बस 

उसको जी भर जीना चाहता हूँ।


एकदिन तो सब को यहाँ से विदा लेना है,

वह पल, किसी के भी जीवन में,

कभी भी आ सकता है,

फिर क्यों न हम,

हर पल को मुठ्ठी में, भर के जी ले।


हर उम्र को फिर से, एक बार जी ले..

हर क्षण को मस्ती से जी ले

जो जी लिया वही तो अपना पल है 

वरना तो हर पल मात्र,


बीता हुआ कल है 

जो न कभी वापस आएगा और न ही 

संजोया जाएगा और न ही कभी

वापस उस पल को मैं जी भी पाऊंगा

उम्र का क्या अभी तो चलना सीखा है।


सफर अभी बाकी है

हर क्षण, हर लम्हा 

मेरी मौज अभी बाकी है।


बस मात्र कुछ ही वर्ष

तो गुजारे है मैंने बाकी

तो बस अनुभव का सार है

जो जी लिया वही पल है वही तो आसार है 

बस यही मस्तियाँ,

बेबाकपन तो जिंदगी का आधार है।


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