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Vipul Borisa

Inspirational

3  

Vipul Borisa

Inspirational

मज़हब

मज़हब

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रंग तो कोई अलग नहीं होता,

भगवान या अल्लाह के नूर का|

राग तो कोई अलग नहीं होता,

उसकी इबादत के सूर का|


मज़हब भी तो कोई अलग नहीं होता,

भिखारी या फ़क़ीर की जरूर का|

ये सिर्फ ढंग है इंसानों के गुरुर का, वरना

क्या अल्लाह क्या भगवान -

वो तो एक ही है मजबूर का|


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