मैं
मैं
मैं कमजोर नहीं
कायर नहीं
न ही मैं डरपोक हूँ
न किसी से पंगा लेती
न बहस में कभी भाग लेती
क्योंकि सभी की भावनाओं का
हृदय से बहुत सम्मान करती।
किसी से न अधिक अपेक्षा रखती
जो मिल जाता।
दिल से उसका हजारों बार शुक्राना करती
मैं अपने आत्म स्वरूप में रहना चाहती
ईश्वर से नित्य यही प्रार्थना करती।।
