मैं विद्रोही हूं
मैं विद्रोही हूं
मैं विद्रोही हूं,
या बागी हूं,
इस ऊंचे रसुकों वाले समाज का,
जिसने मुझे
सदियों से प्रताड़ित किया,
मुझे मेरे
हक हकुकों से दूर किया,
मेरे अधिकारों को
मुझसे ही छीन लिया,
मुझे डराया,धमकाया,सताया,
बात - बात पर
मुझे मेरी हदों को बताया,
मुझे बताया कि
मेरी औकात क्या है,
उनके सामने,
क्यों कि
मैं अक्सर पूछता हूं
इन रसुकदारों को,
कि मेरा रंग
मेरी काया,
तुम जैसी तो है,
फिर तुम ऊंचे
और
मैं नीच कैसे ?