मैं स्त्री हूं
मैं स्त्री हूं
मेरा वो रुप ,जो मैंने देखा है
अनजान है सबसे
जो सिर्फ़ मेरा मन ही जानता है
कभी बेटी बन परिवार का सम्मान हूं
कभी बहन हूं भाई का अभिमान हूं
कभी पत्नी बन हमसफ़र हूं किसी की
बच्चों की हर समस्या का हल हूं कभी
पर मेरा अपना अस्तित्व जो सिर्फ मेरा है
वो सिर्फ़ मेरा अपना मन ही जानता है।
