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Dravin Kumar CHAUHAN

Inspirational

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Dravin Kumar CHAUHAN

Inspirational

मैं पत्रकार हूं

मैं पत्रकार हूं

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मैं पत्रकार हूं मैं शुभ संदेश लिखता हूं

मैं भारत के चौथे स्तंभ की भूमिका निभाता हूं सत्य लिखता हूं

मैं भारत का पत्रकार हूं मजदूरों का मजबूरी लिखता हूं

दुखियों का दुख लिखता हूं मैं दीपक सा हूं

एक उजाला एक साधारण सा पत्रकार हूं

भ्रष्टाचारी लोगों का भ्रष्टाचार लिखता हूं

हर दुख की घड़ी में अपनी कलम के बल पर लोगों का ढाल बन जाता हूं

आपदा हो विपदा हो खुशी की घड़ी हो चाहे सरहद हर पल पल की खबर लोगों तक पहुंच जाता हूं

मैं पत्रकार हूं मैं भविष्य नहीं लिखता लेकिन लोगों का अतीत जरूर लिखता हूं

मैं दूरदर्शी नहीं लेकिन अपने कलम में भारत को देखता हूं

मैं साधारण सा पत्रकार अमीर गरीब दुख सुख का हर खबर पल पल का खबर लोगों तक पहुंच जाता हूं

स्वास्थ्य शिक्षा रोजगार आदि सामाजिक विषयों को भी उठाता हूं

अपने कलम के दम पर बहुत कुछ कटु सत्य लिख जाता हूं

हां मैं पत्रकार हूं सच को जनता तक ले जाता हूं झूठ को आईना दिखाता हूं

सत्य के साथ कदम से कदम मिला ता हूं वक्त बेवक्त लोगों तक लोग खबर पहुंच जाता हूं

मैं एक पत्रकार हूं सत्य लिखता हूं हां सच में खुद को आइना दिखा जाता हूं कुछ बातों बातों में लोगों को आइना दिखा जाता हूं

लोगों को भी दिखा जाता हूं सत्य लिख जाता हूं हां मैं एक पत्रकार हूं भारत के चौथे स्तंभ का फर्ज निभाता हूं

मैं हर दुख सुख में सहभागी बन जाता हूं मैं हर क्षण हर जगह हर खबर को लोगों तक चाहता हूं

मैं सत्य लिखता हूं मैं भारत का एक पत्रकार हूं हां मैं एक पत्रकार हूं त्योहारों पर शुभ संदेश लिखता हूं

मैं समाज में हो रहे अपराधों को पर्दाफाश करता हूं मैं समाज की हर अच्छाइयों को जन जन तक पहुंच जाता हूं

मैं अपने शब्दों से आईने पर जमी धूल को साफ कर देता हूं

लोगों को न्याय न मिलने पर भी अपने को परवाह किए बगैर जवाब दारो से सवाल के कटघरे में खड़ा कर देता हूं

मैं एक कलमकार हूं मैं एक आइना हूं मैं पत्रकार हूं सत्य लिख जाता हूं

आईने पर जमी धूल को साफ कर जाता हूं गांव हो शहर हो हो या सरहद सब जगह तक पहुंच जाता हूं

हर खबर से जनता को रूबरू कराता हूं नेताओं के अतीत के याद दिला देता हूं

अपने माध्यम से लोगों की आवाज उठाता हूं शब्द भले कम पर ठोस उठाता हूं

अपने कलम की ताकत पर अत्याचार से लड़ जाता हूं

जब जरूरत पढ़ती है तो आंधी तूफान सर्द गर्म वर्ष में भी हर जगह पहुंच जाता हूं

क्योंकि मैं पत्रकार हूं हर समय हर खबर से आम लोगों को रूबरू कराता हूं

सड़क से लेकर संसद तक पहुंच जाता हूं हमेशा पूरा सच आपके लोगों के पास लेकर आता हूं

कभी कभी सच दिखाने के चक्कर में खुद लोगों का विरोध के सामना भी कर लेता हूं मैं पत्रकार हूं हां मैं पत्रकार हूं.


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