मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ


मैं नारी हूँ, मैं नारी हूँ।
मैं ज्योति क्रांति झलकारी हूँ।।
मैं सीपी की मोती हूँ,
मैं जीवन की ज्योति हूँ,
मैं सब पर बलिहारी हूँ।
मैं रोज काम पर जाती हूँ,
मैं साथी के संग कमाती हूँ,
मैं ही तो दुनियादारी हूँ।
मैं ही जीवन संगिनी हूँ,
मैं ही असली अर्धांगिनी हूँ,
मैं शीतल जल की झारी हूँ।
मैं सच्ची अभिलाषा हूँ ,
मैं प्रेम प्रीत की भाषा हूँ ,
मैं ही तो फुलवारी हूँ।
मैं दीया की बाती हूँ ,
मैं ही पिया की पाती हूँ
मैं रूप रंग श्रृंगारी हूँ।
मैं ही गजल मैं रुबाई हूँ ,
मैं ही फुले सावित्री बाई हूँ ,
मैं ही ज्ञान की चिंगारी हूँ।
मैं ही जीवन संघर्ष हूँ ,
मैं ही तो भारत वर्ष हूँ ,
मैं खुद से ही हारी हूँ।
मैं नारी हूँ, मैं नारी हूँ।।