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Jyoti Kumari

Abstract

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Jyoti Kumari

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मैं नारी हूँ

मैं नारी हूँ

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नवपल्लवों को पोषित करती,   

मैं प्रकृति स्वरुपा,समकक्षा हूँ,   

केवल भोग्या नहीं रूप मेरा,         

मैं आँचल का अनंत विस्तार हूँ,  

माता, पुत्री, भगिनी संग,      


गृहलक्ष्मी स्वरुपा हूँ,         

अबला न समझे मुझे,       

जीवन का संबल स्तंभ हूँ,    

अस्मिता की रक्षार्थ हेतु,      


रणचंडी का स्वरुप हूँ, 

हर कार्य में दक्ष,निपुण,

अष्टभुजी नारायणी हूँ,

सफलता संग दायित्व निभाती,

नारी के प्रत्येक रुप सँवारती,

 मैं अनन्या हूँ,


 गर्व स्वयं के व्यक्तित्व पर,

 मैं मौन का अचंभा नाद हूँ,

 अंत नहीं है मेरा,

 मैं सृष्टि का आरंभ हूँ,

 नर संगिनी बन गौरवमयी,

 मैं एक नारी हूँ।


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