रंगों की बौछार
रंगों की बौछार
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रंगों की बरसे बौछार,
छाए खुशियों के रंग हजार,
मिटा गया हर भेदभाव हो,
फागुन का महीना।
टोली में आए श्याम साँवरिया,
रंगने दौड़ी उनको बाँवरिया,
चहुघा बरसे रंग की फुहार हो,
फागुन का महीना।
दौड़ी-दौड़ी कान्हा रंग लगाए,
भर पिचकारी गोपियन को भिजाए,
सबके मुखड़ा भये लाले-लाल हो,
फागुन का महीना।
राधा खीजे गाली सुनाए,
भर अतवाँँरी कान्हा रंग लगाए,
लाजे गुलाबी हुए देखो गाल हो,
फागुन का महीना।
कृष्ण के रंग में सृष्टि रंगाई,
प्रीत रंग ने कर दी चढ़ाई,
ब्रजमंडल ने धुरड्डी मनाई हो,
फागुन का महीना।
यमुना तट पर उड़े अबीरा,
लाल, गुलाबी, नीला,पीला,
होली में तन-मन भींगे हो,
फागुन का महीना।
