मैं लौटूँगी नहीं
मैं लौटूँगी नहीं
मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैने अपनी राह देख ली है
अब मैं लौटूँगी नहीं
मैने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं
सोने के गहने तोड़कर फेंक दिए हैं
भाइयों! मैं अब वह नहीं हूँ जो पहले थी
मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैने अपनी राह देख ली है
अब मैं लौटूँगी नहीं।
