दूर दूर तक
दूर दूर तक
दूर दूर तक जब कुछ नज़र ना आया
क्या मंजिल है मेरी समझ ना आया,
लोगों के सुझाव ने मन में उत्साह ना जगाया,
तब जो भी कला सामने आई उसमे खुद को आजमाया,
कुछ से पाई प्रशंसा,
तो कुछ से फालतू काम मत कर जैसी सलाह को पाया,
पर हर बार कुछ नया करने की चाह में मैंने खुद को पाया।
