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Monika Garg

Inspirational

3.8  

Monika Garg

Inspirational

मैं कड़वी हो गई

मैं कड़वी हो गई

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चुप ना रह सकी

सच्ची बात जो कह गई

लो आज मैं कड़वी हो गई।


बहुत सहा पर कब तक सहती

कब तक यूं मैं चुप ही रहती

फिर वही जहर का घूंट पी गई

लो आज मैं कड़वी हो गई।


जो कहते थे रह नहीं सकते तेरे बिना

देखो आज कैसे मुंह फेर के खड़े हैं

बदल गए वह, या मेरी नज़र कमज़ोर हो गई

लो आज मैं कड़वी हो गई।


गैरों की लगाई आग में जल गए कुछ अपने रिश्ते,

अपनों की महफ़िल में मैं आज फिर तन्हा हो गई

लो आज मैं कड़वी हो गई ।


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