मैं इंजीनियर तो हूँ
मैं इंजीनियर तो हूँ
मैं इंजीनियर तो हूँ पगली
टूटा दिल, फिर भी मैं जोड़ नहीं पाता
तू तो फिरती थी बड़ी डॉक्टर बनी लाडो
मेरे नाम का कांटा तुझसे निकाला नही जाता
तू मुझे संगदिल कहे तो भी
तेरा हाथ मुझसे तो छुड़ाया नही जाता
तू रूठ जाती है बात बात पर
एक मैं हूँ, जिससे मनाया नही जाता
इंजीनियरी ही क्या सब बेकार है लिखा पढ़ा
तू ठीक कहती बुद्धू हूँ मैं, मुझे कुछ भी नहीं आता।