मैं हूँ एक फकीरा
मैं हूँ एक फकीरा
खुशियाँ तो छुपी हैं मेरे मन मैं,
मैं क्यूँ देखता फिरूँ यहाँ वहाँ।
क्यूँ फ़िक्र करूँ मैं सबकी
जब कोई नही हैं यहाँ मेरा।
मैं हूँ एक फकीरा अपनी ही
धुन में खोया चला जा रहा हूँ।
हो के बेफ़िक्र नये रास्तों पे
नई डगर पे पाने अपनी मंजिलों को
छूने आसमा को जीने जिंदगी को।