मैं भी तेरी ही फ़क़ीर हूँ
मैं भी तेरी ही फ़क़ीर हूँ
मेरी, उड़ने की ख़्वाइशें नहीं,
मेरी, उड़ने की ख़्वाइशें नहीं,
मैं ज़मीन पर ठीक हूँ ।
पंखों से तूने इन्हें नवाज़ा है,
पंखों से तूने इन्हें नवाज़ा है,
तो इन बेज़ुबानों के लिए ख़ुश हूँ।
ऊँचाइयों का ख़्वाब देखती हूँ तो सोचती हूँ,
ऊँचाइयों का ख़्वाब देखती हूँ तो सोचती हूँ,
माँगनी होंगी मन्नतें याँ याद रहेगा तुझे ?
कि मैं भी, तेरी ही फ़क़ीर हूँ।
