मैं और मेरा उड़ान
मैं और मेरा उड़ान
दुनिया ठीक से उठी नहीं
फिर से गड़बड़ा रहा हूँ मैं
फ़िज़ा में बाज़ दिखा नहीं
सपने बुन रहा हूँ मैं
साथियों के साथ सैर करें
मजा ही कुछ और है
गर कोई साथ नहीं
अकेले निकल जाता हूँ मैं
सड़क के गड़बड़ियों से
आँख चुरा लेता हूँ मैं
मन को शांत रखता हूँ
और खिसक लेता हूँ मैं
ऊंचे पहाड़ों पे अम्बर के तले
ठिकाना ढूंढ लेता हूँ मैं
दिल खोल के लेता हूँ सांस
दुनिया भूल जाता हूँ मैं
कुदरत की अनोखी रचना
अचंभित देख लेता हूँ मैं
ऊपर चढ़कर बादलों के संग
गप श्राप मार लेता हूँ मैं
सपना है या हकीकत
सोच में पड़ जाता हूँ मैं
कई बार सच के सपनों में
उड़ते हुए पाता हूँ मैं