कैसे कर पाते हम ……..
कैसे कर पाते हम ……..
गरम करने दूध रखे और भूल गए
चलो अच्छा हुआ वर्ना
बिन त्यौहार खीर कैसे खा पाते हम
शायरों पे बेशुमार जुल्म ढाये सबने
चलो अच्छा हुआ वर्ना
अच्छी शायरी से महरूम ही रह जाते हम
लुटेरों ने खूब लूटा, पूरा साफ़ कर दिया घर
चलो अच्छा हुआ वर्ना
नए सिरे से घर कैसे सजा पाते हम
न खैरात न आरक्षण न रियायत कहींसे कभी
चलो अच्छा हुआ वर्ना
चोटियों पे मजबूती से पहुँच के टिक नहीं पाते हम
काटों ने निभाई दोस्ती साथ छोड़ा नहीं कभी
चलो अच्छा हुआ वर्ना
दर्द में सुकून पाने की हुनर कैसे सीख पाते हम
नालायक कह के पीछे छोड़ चल दिए सभी
चलो अच्छा हुआ वर्ना
उसी इलज़ाम तले खुद को दबे पाते हम
इतनी बेरहमी से ठुकरा दिया मेरे सच्चे प्यार को जालिम
चलो अच्छा हुआ वर्ना
जवानी कहाँ ऐश से गुजार पाते हम।