STORYMIRROR

Mukta Sahay

Abstract

2  

Mukta Sahay

Abstract

मैं और हिंदी साथ-साथ

मैं और हिंदी साथ-साथ

1 min
230

मेरी हर एक सोच का आकार है हिंदी

मेरे हर एक पल का आधार है हिंदी।


मेरे हर एक अनुभव का उद्गार है हिंदी

मेरे हर एक कण की अस्ती है हिंदी।


मेरा मान और सम्मान है हिंदी

मेरी आन और स्वाभिमान है हिंदी।


मेरी शान और अभिमान है हिंदी

मेरी जान और प्राण है हिंदी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract