Mukta Sahay
Abstract
नदी
बहती गई
तेज़ बहुत तेज़
कलकल, निरझार, निर्मल , निर्बाध
अचानक
बीच राह
मिला एक चट्टान
दृढ़ , विशाल, अचल, अडिग
बँट गई
कई धाराओं में
चौड़ी , पतली, गहरी, उथली
बदलाव
कालांतर में
घिस गई चट्टान
कंकर, टुकड़े, मिट्टी में
धारा और मेरी ...
प्रश्न ?
शक्ति ...
मैं और हिंदी ...
ख़ुशियाँ ही ख...
तुम्हारा मेरा
ये सब सहने की आदत नहीं पर संस्कार होता है। ये सब सहने की आदत नहीं पर संस्कार होता है।
बुरा मत सुनों, बुरा मत देखो, बुरा मत कहो। बुरा मत सुनों, बुरा मत देखो, बुरा मत कहो।
प्रकृति का कर मान, घरों में खुद को कैद करो। प्रकृति का कर मान, घरों में खुद को कैद करो।
हाथों में फावड़े हैं हर रोज़ की तरह, मुझे कहाँ ख़बर है कि आज दिवस मज़दूर है। हाथों में फावड़े हैं हर रोज़ की तरह, मुझे कहाँ ख़बर है कि आज दिवस मज़दूर है।
आख़िर कब तक सह पाएँगे बेदर्द ज़माने के यह सितम ! आख़िर कब तक सह पाएँगे बेदर्द ज़माने के यह सितम !
भला हो हमारे गुरुत्व का भला हो हमारे गुरुत्व का
सम्यक जीवन की है राह निराली बुरा न देखो, न सुनो, न कहो सहेली सम्यक जीवन की है राह निराली बुरा न देखो, न सुनो, न कहो सहेली
जैसे सफ़ेद रंग में छुपा सात रंगों का ख़ज़ाना है। जैसे सफ़ेद रंग में छुपा सात रंगों का ख़ज़ाना है।
आसमाँ से ऊंचा उसका कद होता है जब वो हक़ीक़त में सच्चा होता है। आसमाँ से ऊंचा उसका कद होता है जब वो हक़ीक़त में सच्चा होता है।
बहुत छोटी सी है ज़िंदगी, खुलकर जियो, यही सबको समझाया है। बहुत छोटी सी है ज़िंदगी, खुलकर जियो, यही सबको समझाया है।
यही नसीहत अपने बच्चों को दे जाओगे। तभी देश के सच्चे साथी कहलाओगे। यही नसीहत अपने बच्चों को दे जाओगे। तभी देश के सच्चे साथी कहलाओगे।
प्रदूषण पे लगाम का अब महत्व समझ में आता है, प्रदूषण पे लगाम का अब महत्व समझ में आता है,
इतना कुछ है दुनिया में कानों में रस घोलने को। इतना कुछ है दुनिया में कानों में रस घोलने को।
हम गांधी जी के तीन बंदर। हाँ जी हम तीन बंदर ! हम गांधी जी के तीन बंदर। हाँ जी हम तीन बंदर !
झरने में भी स्थिर नज़र आया ये चेहरा। झरने में भी स्थिर नज़र आया ये चेहरा।
उस महापुरुष का एक ही सिद्धांत बुरा न देखो बुरा न बोलो बुरा न सुनो। उस महापुरुष का एक ही सिद्धांत बुरा न देखो बुरा न बोलो बुरा न सुनो।
एक मजदूर हूँ मेहनत से डरता नहीं। एक मजदूर हूँ मेहनत से डरता नहीं।
संविधान से सशक्तमान, अब तुम आधुनिक नारी। संविधान से सशक्तमान, अब तुम आधुनिक नारी।
वैसे हर शूल एक फूल की ही बाती है हर एक भूल एक नया पैग़ाम लाती है। वैसे हर शूल एक फूल की ही बाती है हर एक भूल एक नया पैग़ाम लाती है।
दु:खों की भट्टी में तप कर जीवन खुशगवार होता है। दु:खों की भट्टी में तप कर जीवन खुशगवार होता है।