मैं आजाद वतन की हिंदी
मैं आजाद वतन की हिंदी
मैं हूँ आजाद वतन की हिंदी,
मैं इस वतन की अभिलाषा हूँ।
मैं है घर संवाद पाठशाला हूँ,
मैं अनपढ़ के वार्तालाप की आशा हूँ।।
देख होड़ आज अंग्रेजी की मैं,
गहरी नींद कहीं सो गई हूं मैं,
इच्छुक हूँ तेरे प्यार की थपकी की,
देख उठाले गहरे सपने में खो गई हूं मैं।।
गद्य,पद्य,दोहे,छंद कितने रूप मेरे,
सब रुपों में प्यार,प्यार बरसाती हूँ मैं।
हर ऋतु में रंग बिरंगे राग गाती खूब इठलाती,
कभी भीम पलासी कभी मलहार गाती हूँ मैं।।
मैं आजाद भारत की आजाद चेतना,
मैं भारत की आन शान वरदान हूँ।
मैं संस्कृति आचरण से भरी माँ सरीखी,
मैं प्रेम,तुलसी कवि लेखनी का गान हूँ।।
मैं भारत भाल का उज्ज्वल चाँद,
मैं भारत अस्मिता का मान हूँ।
मैं मीरा,जायसी का मधुर गीत,
मैं स्वर व्यंजन लिये अनोखी तान हूँ।।
मैं एक डोर से सब बांधने वाली,
तत्सम,तद्भव,देशज,विदेशज रंग रंगी।
गङ्गा कावेरी सी बहती निर्मल धारा,
पूरब पश्चिम कमल पंखुरी सेतु बनी।।
मैं विश्व में प्रेम प्रसार बढाती,
सबको मीठी लोरी सुना सुलाती हूँ।
कोई लाख चलाये छुरियाँ सीने पे,
मैं फिर भी माँ बन प्यार लुटाती हूँ।।
माना कुल दुनिया अंग्रेजी की दीवानी है,
पर मैं तो तेरी असली पहचान करवाती हूँ।
तू न गर अंतर जाने रिश्ते,रिश्ते में तो क्या,
मैं हर रिश्ते सेअलग पहचान तेरी करवाती हूँ।।