माटी का खिलौना
माटी का खिलौना
माटी का ये खिलौना एक दिन, माटी में मिल जाएगा।
जो भी संग्रह किया जीवन में, सब यही छूट जाएगा।
मृत्यु तो शाश्वत सत्य है, फिर मौत से क्यों घबराना।
क्या होगा मरने के बाद, उस रहस्य को किसने जाना।
ज़िन्दगी है अनमोल, ये बात समझ ले तो अच्छा है।
दिलों में बना ले एक जगह , जीवन वही सच्चा है।
किराए का मकान है ये साथी, आएगी सबकी बारी।
कोई नहीं बच पाएगा, चाहे राजा रंक या भिखारी।
कर्मों का हिसाब यहीं पर होगा, आज नहीं तो कल।
स्वर्ग नरक से अनजान हम, हँसकर जी ले हर पल।
इस ख़ूबसूरत ज़िन्दगी में, रिश्तों का ताना बाना है।
मानवता का फ़र्ज़ निभा, साँसों का कर्ज़ चुकाना है।
रोएँगे जो रह जाएँगे, जब तन हो जाएगा निष्प्राण।
बस यादें रह जाएँगी शेष, मत कर मिथ्या अभिमान।
मत सोच मरने के बाद क्या होगा, ले जीवन का आनंद।
रह द्वेष दम्भ लोभ से दूर, मन की शांति ही है सदानन्द।।