मात-पिता संग पूरा होता परिवार
मात-पिता संग पूरा होता परिवार
बड़ी खुशी से जो लाते हैं हमको इस जग में,
निज सब सुख तज दिया हमें असीम ही प्यार।
निज संतति के सुख हित सहते अगणित दुख,
मात-पिता के संग ही पूरा होता एक परिवार।
एक संस्कारी संतति तो है,होती हर दंपति का सपना,
पहुंचाने सर्वोच्च शिखर पर, हर दांव लगाया अपना।
सुखमय कल हेतु वह,विस्मृत करता सब दुख अपना,
निज सारे सुख तज देते,उफ ना करते हैं एक बार।
निज संतति के सुख हित सहते अगणित दुख,
मात-पिता के संग ही पूरा होता एक परिवार।
मातृत्व प्राप्त करना हर नारी का सपना होता है,
शिशु के विकास में योगदान दोनों का होता है।
निद्रा उड़ती है रातों की अगर जरा शिशु रोता है,
शिशु की खिलखिलाहट से है मिलता सुख अपार।
निज संतति के सुख हित सहते अगणित दुख,
मात-पिता के संग ही पूरा होता एक परिवार।
निजी सुखों की खातिर कुछ,कटु निर्णय भी ले लेते हैं हम,
बचपन से वे गम सहते आए,तक का करते ना कुछ गम।
कोटिक कष्ट सहेंगे कभी न उनको भेजेंगे हम वृद्धाश्रम,
बच्चों के सम हम समझें, उनको दे बच्चों जैसा ही प्यार।
निज संतति के सुख हित सहते अगणित दुख,
मात-पिता के संग ही पूरा होता एक परिवार।
