मासूम कश्मीर
मासूम कश्मीर
कचनार सी मासूम
गोरी गुलाबी
पर्वतों सी दंतपंक्ति
उज्ज्वल आभा जिसकी
हिरनी सी चंचल
बंदिश में बँधी थी
शीत सतह पर हंसती
झील की आगोश में झूलती
चिनार की छाँवो में पलती
है धरती की सिरमौर सी
घाटी की शान
है बगीया की पहचान
नाम कश्मीर वादियों की हस्ती
उभरी आज कसके तंज
अपने वजूद के संग
धारा को मोड़ कर छाप
अपनी छोड़कर
मुक्त गगन के आसमा पे
निकली दुमशाल ओढ़े
सपनो की सैर पर
अपनों से मिलने
खेलने माँ की कोख में
भारत की गोद में
मिट्टी को चूमती
आज़ादी की लहरों संग
थिरकती झूमती