मानवता
मानवता
हम मानव हैं,
मानवता की बात करें।
द्वेष भाव आने न दे,
हम सौहार्द की बात करे।
एक-दूजे का हाथ हम पकड़े,
न छोड़ें मझधार में।
अच्छे काम हम करें निरंतर,
नाम रहें संसार में।
जो अटके है,जो भटके हों,
उनको राह दिखायें।
एक रोटी यदि पास है अपने,
आधी-आधी खायें।
गंगा जमुना सरस्वती का,
जब संगम हो जाता।
कुंभ का सुन्दर मेला लगता,
महातीर्थ बन जाता।
भेदभाव को भूलभाल कर,
हम भी एक हो जायें।
अमर शहीदों के सपनों का,
उज्ज्वल भारत बनायें।।
