मानवता
मानवता
सिसकियां ले रही मानवता बस दानवता फल फूल रही।
अंतिम सांसे रह गई शेष नैतिकता फांसी झूल रही।।
भाई का शत्रु बना भाई रिश्तो में पड़ी दरारें हैं ।
भाई-भाई में अब तो बस संघर्ष और तकरारे है ।।
जंगल सा वातावरण हुआ, सबके मन में रावण है।
आखिरी आस बस सबकी श्रीराम है।।