जानवर
जानवर
जानवर का दर्जा दिया है इंसान ने तुमको
पर हर इंसान से बेहतर हो तुम
जो खुद जानवर से भी बदतर है
सूझबूझ और अपने भाव अभिव्यक्ती की क्षमता होने के बावजूद
संवेदनहीनता से ग्रसित यह जीव,
किसी के प्रति द्वेष ,किसी के प्रति ईर्ष्या,
कभी किसी को छलता ,कभी किसी के खिलाफ षड्यंत्र करता
कभी किसी को दुत्कारता, कभी किसी को अपशब्द कहता
अपनी महत्त्वाकांक्षाओं वह पूरा करने हेतु,
प्राण लेने से भी नहीं हिचकिचाता,
संकीर्ण विचारधारा का स्वामी ,
मतलबी और एहसान फरामोश,
यह है आज का इंसान ,
काश वो जानवर जैसा होता निश्चल,
निस्वार्थ प्रेम की भावना से ओतप्रोत,
तभी तो खुद को तुजाकर परोपकार करता
ना तिरस्कार ,ना अवहेलना उसके मुख पर,
लादा जाता ,बांधा जाता ,
सैर सपाटे के काम आता
शुभचिंतक हितैषी तुम्हारा ,
अपनी जान पर खेलकर तुम्हारी जान बचाता
कभी विचार करो इस पर,
तुम्हें क्या है उसके जैसा,
मानव योनि मिली तुमको
कुछ तो ऐसा काम करो,
इंसान हो इंसानियत दिखाओ
ना जानवर जैसे काम सरेआम करो।