हौसला रख ज़िंदगी
हौसला रख ज़िंदगी
हौसला रख ए ज़िन्दगी
फिर सुबह मुस्कुराएगी
आज जो कैद है तू
तो कल फिर बाहर आएगी।।
माना इक आपदा ने निःशब्द किया
पूरी मानवता को घात दिया
पर रख तू हौसला प्रतिपल
हौसलों से ही ज़िंदगी जीत पाएगी।
हौसला रख ए ज़िन्दगी
सुबह फिर मुस्कुराएगी।।
जो आज कैद है तू कमरों में
तो दूर कर अपने मन के अंधेरों को
इरादे जो बुलंद रहेंगे तेरे
तो सपने सच होंगे सारे।
अंधेरी राहों में दीप जला
राहों को आसान बनाएगी
हौसला रख ए ज़िन्दगी
सुबह फिर मुस्कुराएगी।।
क्या निशा प्रभात को कभी रोक पाएगी
इतना कमज़ोर तो नही तू कि
विपदाएं तेरे हौसलों को तोड़ पाएंगी
तुझमें जीतने की शक्ति है
उठ चल पड़ेगा जब तू
मंज़िल भी मिलेगी तुझको
मिलने का आनंद फिर आएगा।।
हौसला रख तू जिंदगी
हौसलों से तू हर जंग जीत जाएगा।।