माँ
माँ
मैं क्या बतलाऊ माँ
ऐसा क्या है तुझे सिखाऊँ माँ
मैं इतनी काबिल नहीं...
मैं ... इतनी काबिल नहीं ...
की दो शब्द भी लिख पाऊँ माँ
झुठे से इस जग में
मेरा विधाता है तू
तेरे बिना अपना जीवन मैं
ना सवार पाऊँ माँ
ममता की मूरत है तू
फूलों की महकती सुगन्ध है तू
जितना तुझे जान पाऊँ उतना ही
तुझमें खो जाऊँ माँ
गुस्सा हो तो भी प्यार करे
निर्मल सा मन जो सबके
विघ्न हरे
हर पल तेरा साथ रहना चाहूं
एक पल के लिए भी दूर ना जाऊँ
काम कुछ ऐसा कर जाऊँ
गर्व तुझे मुझपर हो जाए माँ
तेरी इक मुसकान के जीते
हर मुसीबत पार कर जाऊँ माँ
तुम मेरी मुस्कान है
तुम ही मेरी पहचान है
तू मेरी शान है
तू ही तो मेरी जान है माँ .....