माँ
माँ
माँ है तो घर घर है
माँ नही जिस घर मेें
घरोंदा मात्र है वो मिट्टी का
उड़ा ले जाती है जिसके
सारे भाव,आंधिया शून्य में
बहा ले जाती हैं नदियां
सारी उम्मीदें अथाह समुद्र में
उजाड़ देता है तूफान
पूरा आशियाना,पल ही भर में
तिनके तिनके ढेर घर
रेत का टीला घर
बिखर जाता है, पल ही भर में।
