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Neetu Jharotia "Rudrakshi"

Inspirational

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Neetu Jharotia "Rudrakshi"

Inspirational

माँ की साड़ी

माँ की साड़ी

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ओढ़ लेती है #माँ” को 

जब पहले दफा 

ओढ़ती है सर पे 

माँ की साड़ी !


इठलाती है, मचलती है 

निहार कर आईने में 

खुद में ही माँ को पाती है !


चोरी-चोरी, चुपके-चुपके 

ललाट पर सजाती है

माँ की ही बिंदियाँ  

दर्शन पूरे जग के पाती है !!क्ष


हाथों में खनकाती है 

माँ की ही चूड़िया

खनक सुन खिलखिलाती 

प्रकृति संगीतमय हो जाती है !


होगी न कोई ऐसी बच्ची

गुड्डे-गुड्डियों के साथ जिसने 

माँ-सा साज श्रृंगार का 

अतुलनीय खेल न रचा हो !


हर वो अनुकरण करती खुद संग 

जो भी माँ उसके समक्ष करती 

यहाँ तक कर लेती है 

वो एक मासूम गुस्ताखी

माँ को देख वो 

खुद भी #सिंदूर” लगाती है


झूम उठती है प्रकृति सारी

लालिमा जब उसकी 

छन कर झीने घूँघट से 

जग में छा जाती है 


ओढ़ लेती है #माँ" को 

जब पहले दफा 

ओढ़ती है सर पे 

माँ की साड़ी !


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