माँ
माँ
माँ गुस्से में होती है तो कहाँ रोती हैं,
समझाती है मारती है फिर सुलाती है।
नजरें, बलाएँ, लोबानो से उतारने वाली माँ,
बच्चों के खातिर मन्नत माँग नंगे पाँव निकल पड़ती है।
गुनाह गलतियाँ हो जाती कभी अनजाने,
गुनाहों को छिपाये बगैर मुझे ही धो डालती है।
बेशक़ होती है एक अनमोल फरिश्ता माँ ,
उदास होते हैं बच्चे तो प्यार से मनाती हैं।
रोते रोते बच्चे पोंछ लेते है आँसू आँचल से ,
आँचल को गंदा मत कर रूमाल पकडाती है।
दुआ की लम्बी चादर साथ लेकर हैं चलती,
मुरझाती है कलियाँ वो प्रेम की बूँदें बरसाती है।
अच्छाई की मिसाल बच्चों की वो जीवन धारा,
कैसे भी हालात हो सलामती की दुआ माँगी है।
घंटों इंतजार में बीता देती बच्चों के खातिर माँ,
रोटी का एक निवाला नहीं मुँह में डालती है।
खुशियों की बहुत बड़ी पाठशाला होती है माँ,
ममता, संवेदना, संस्कारों का पाठ पढ़ाती हैं।
माँ कैसी भी हो सुन्दर हो, काली हो, अपंग हो ,
बच्चों के लिए तो दुनिया की सुन्दर रचना होती हैं।
उसके ही कदमों में सारा जहान समाता है हमारा,
घर में माँ होती है तो हर दिन होली और दीवाली होती हैं ।