STORYMIRROR

Khalid MOHAMMED

Abstract

3  

Khalid MOHAMMED

Abstract

माँ

माँ

1 min
154

ऐ मेरी माँ, ऐ प्यारी माँ,

खुदा से तेरे लिए क्या मांगू?

तेरी गोदी में जो था सुकून, उसके बदल क्या मांगू?

तेरे हाथ के निवाले का मज़ाा, उसके बदल क्या मांगू?

तेरे गुस्से के पीछे की फिक्र, उसके बदल क्या मांगू,

तेरे थपकियो से जो आती है सुकून की नींद, उसके बदल क्या मांगू?

मेरे लिए जो तूने दी है कुर्बानिया, उसके बदल क्या मांगू?


ऐ मेरी माँ, ऐ प्यारी माँ,

खुदा से तेरे लिए क्या मांगू?

जब चोट लगे, तो तू याद आती है माँ!

जब भूक लगे तो तू याद आती है माँ!

मेरे आने की खबर तुझको हो जाती है माँ!

मेरे रोने की खबर तुझको हो जाती है माँ!


ऐ मेरी माँ, ऐ प्यारी माँ,

खुदा से तेरे लिए क्या मांगू?

तूने मुझको पैरों पे खडाया है, जब मैं गिरगया,

तेरे साथ ने मुझको जिताया, जब मैं हारगया,

मैने तुझको बहुत सताया है मुझे माफ़ कर,

रातो में तुझको जगाया है मुझे माफ़ कर,


ऐ मेरी माँ, ऐ प्यारी माँ,

खुदा से तेरे लिए क्या मांगू?

भेजा है तुझको खुदा ने, ये मेरा शुक्र है,

सिखाया है तूने जो बंदगी को, ये मेरा शुक्र है,

देखा है मैंने खुदा को तेरी नज़र से,

समझा है मैंने खुदा को तेरे सब्र से,

तेरे सब्र के आगे मेरा सब्र कुछ नहीं,

तेरे फिक्र के आगे मेरी उम्र कुछ नहीं!


तूने जो दी है ज़िन्दगी उसको सलाम है!


ऐ मेरी माँ, ऐ प्यारी माँ,

खुदा से तेरे लिए क्या मांगू?



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract