माँ तो माँ होती है
माँ तो माँ होती है
माँ तो माँ होती है
समझ जाती है भाव को बिना
कुछ कहे,
भर देती है झोली अपने प्यार से
संघर्ष की धूप में शीतल छाया
बन जाती है
उम्मीद के हिलोरे बनकर मन
पुलकित करती है
माँ तो माँ होती है
कहने के अंदाज़ से हृदय का हाल
जान लेती है
उस अनकही परेशानी के लिए
मन्नतें मांग लेती है
ईश्वर भी मातृत्व पर भी जाते हैं
भर देते हैं झोली माँ की मन्नत वाली
इसलिए माँ तो माँ होती है
दूर रहकर भी उसके हाथों की
नरमी का एहसास होता है
चेतना बनकर उभरता है उसका
प्यार जो मन उदास होता है
केवल देने वाली का पर्याय माँ होती है
माँ तो माँ होती है
आज भी स्वयं की गलतियों पर
उनकी डांट का आभास होता है
जो कभी मन को सुहाती नहीं थी
शायद यही सिखाने का ढंग था उनका
फिर हँसकर चुपके से कुछ खिलाती
यह कैसा माँ का मन था
इसलिए माँ तो माँ होती है
पढ़ना तो उनको आता ही नहीं
लेकिन मन को बड़े अच्छे से पढ़ती हैं
जीवन के इस मोड़ पर कौन सी
किताब पढ़नी है पल भर में बता देती हैं
बिना नकल किए सारे प्रश्न का उत्तर देती हैं
इसलिए माँ तो माँ होती है
आज भी जाती हूं उनके पास
उनकी अनुभवी हथेलियां
मेरी मुट्ठी में कुछ भर जाती हैं
यह तो केवल बेटियां ही समझती हैं
इसलिए माँ तो माँ होती है