'मजदूर'
'मजदूर'
कौन है यह मजदूर? कौन है यह।
जो मजबूर है, अपने सपनों को ताक पर रखकर।
सूरज से पहले उठ नींद को चारपाई पर छोड़कर।
दिनकर की गति से गोधूलि हो जाने पता नहीं कब तक डटा रहता है।
एक रोटी खा सब की रोटी का इंतजाम करता है।
क्या यही है मजदूर -----
कितना सकारात्मक है उसे आशा है कितनी
आज कमाया है कल का भरोसा नहीं ।
फिर भी जीता है मस्त मौला सबको बड़ा सिखाता है
कमाता है हाथों की ताकत से किस्मत का खाता नहीं।
