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Meera Kannaujiya

Abstract Inspirational Others

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Meera Kannaujiya

Abstract Inspirational Others

माँ...,मैं जीना चाहती हूँ!

माँ...,मैं जीना चाहती हूँ!

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माँ..., मैं जीना चाहती हूँ...!

तुम्हारी नन्ही सी गोद में खेलना चाहती हूँ।

तुम्हारा वो कोमल सा प्यार भरा स्पर्श माँ...,

जिसे महसूस करती हूँ,

मैं अंदर से।

चूमना चाहती हूँ उन हाथों को

जिससे तुम थपकी देकर रात को मुझे सुलाती हो माँ!

अपनी नन्ही सी इन आँखों से, देखना चाहती हूँ,

इस खूबसूरत दुनिया को माँ!

माँ..., मैं भी खेलना चाहती हूँ,

तुम्हारे साथ, वो गुड्डे गुड़ियों का

खेल...,

सुनना चाहती हूँ वो परियों की कहानी माँ!

पापा की दुलारी हूँ मैं,

सुनकर उनकी पुकार,

उछल जाती हूँ गेंद की तरह,

अपने इस छोटे से घर में।

पहनना चाहती हूँ माँ...,

वो नन्हा सा स्वेटर,

बिना मापे जिसे बुनती हो सिर्फ! मेरे लिए।

आखिर क्या बात है माँ...,

जो तुम मुझे जन्म नहीं देना चाहती माँ!

क्या बस इतनी सी भूल है मेरी,

कि मैं एक बेटी हूँ माँ...,

मेरी माँ ! 

मेरी...प्यारी माँ !


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