माँ के प्रेम की कोई सीमा नहीं
माँ के प्रेम की कोई सीमा नहीं
उसके दुलार में कोई स्वार्थ नहीं
उसके आँचल में छाँव मिली
उसकी आँखों से दुनिया देखी
उसके हाथों के स्वाद में तृप्ति मिली
उसकी डांट में ममता मिली
उसकी दुआ से हर कमना पूरी हुई
सच कहते हैं सभी
माँ के प्रेम की कोई सीमा नहीं।
