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PIYUSH BABOSA BAID

Abstract

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PIYUSH BABOSA BAID

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माँ का नया जन्म

माँ का नया जन्म

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खुशियों का वो दिन है आया,

चिकित्सक से ये संदेशा बतलाया,

नौ महीने की खुशियों का सजा सुनाके,

जीने का एक वजह दिलाया।


लाख दर्द पाके जन्म उसे देना था,

मर के नया जन्म पाना था,

सैंकड़ों अश्क थे नैनो में,

लेकिन होठों पे हसीं पाया था।


भूल गए थे वो तारिख हम,

जिस दिन हमारा जन्म हुआ था,

मानने लगे थे उस दिन को जन्मदिन हम,

जिस दिन हमारा शिशु को आना था।


धुन था सिर्फ पहली बार माँ सुनने का,

ख्याल किसी का कुछ और नहीं,

इंतजार था पहली बार गोध में लेने का,

इनायत खुद का भी नहीं।


आखिर कार वो दिन भी आया,

जब दर्द आसू भी मुझे लुभा रहा था,

हस्पताल का मुझे बेसब्री से इंतजार भी,

वो पल्लंग ही तो मुझे चेहका रहा था।


फिर एक बार चित्सक संदेशा लाया,

मेरे खुशियों को दर्द भरे आलम में पहुंचाया,

बोला मेरा बच्चा मरा हुआ था,

मेरे कदमों तले जमीन उखड़ गया था।


आज फिर मेरे आंखों में नीर की धारा थी,

मेरी तो सांसें और बोलती जैसे थम चुकी थी,

में रोते रोते मेरे संसार से मानो,

जैसे मर ही चुकी थी।


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