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सोनी गुप्ता

Inspirational

4.8  

सोनी गुप्ता

Inspirational

माँ का निश्छल प्यार

माँ का निश्छल प्यार

2 mins
235


तरु पल्लव सी ठंडी छाया उसके आंचल से मिलती है 

बाल सुलभ मन की पीड़ा गोदी में लेकर हर लेती है

माँ तेरा यह निश्छल प्यार जीने की नई दिशा दिखाती है


शीतलता का एहसास उसके आंचल की छाया में

पतझड़ में भी सावन बनकर हर उपवन महकाती है

माँ तेरा यह निश्छल प्यार ममत्व का पाठ मुझे पढ़ाती है


निर्मम और निष्ठुर शब्द उसके शब्दकोश में नहीं 

लाख दुखों को सहकर भी पालन पोषण करती है

माँ तेरा निश्छल प्यार उपवन का श्रद्धा सुमन बन जाती है


हर ख्वाबों को सतरंगी रंगों से बुनकर बाहों में भर लेती

जीवन का नव श्रृंगार कर पीयूष रस वो छलकाती है

माँ तेरा निश्छल प्यार जीवन जीने का ढंग मुझे सिखाती है


कितनी रातों को जागकर थपकी देकर मुझे सुलाती 

आज भी मां तेरी हर यादें मन को मेरे बहलाती है 

माँ तेरा निश्छल प्यार बहती नदी सी निरंतरता सिखाती है


पड़ ना किसी का साया रोज टीका काजल लगाती 

हर दर्द समझ जाती डांट कर भी बेइंतहा प्यार जताती है

माँ तेरा यह निश्छल हर मुश्किल में अडिग रहना सिखाती है


जब भी रोया माँ तड़प कर तूने मुझे गले लगाया है

आंचल थामें जब भी आगे बढ़ा एक नई राह दिखाती है

माँ तेरा निश्छल प्यार तू जिंदगी की उलझनों से बचाती है


सारी मोहब्बत को इकट्ठा कर भगवान ने मां को बनाया

जग के कोलाहल में ठंडी छांव सा शीतल सुख देती है

माँ तेरा निश्छल प्यार तू शीतल झरनों सी हमेशा बहती है


भोर की पहली किरण सी खिलखिलाती हुई जब आती

हर रोज सूरज की किरण बनकर मुझे जगाती आती है

माँ तेरा यह निश्छल प्यार संस्कारों का पाठ मुझे पढ़ाती है।



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