Prabha Gawande

Drama

5.0  

Prabha Gawande

Drama

माँ का मन

माँ का मन

1 min
264


बेटे की आँखों में सपने देख रही हूँ

अधूरे कुछ सपने अपने देख रही हूँ।


जा रहा है विदेश पढ़ने, बेहतर बनने

आकाश को भुजाओं में अपनी भरने

जीत का परचम लहराते देख रही हूँ।

बेटे की आँखों में सपने देख रही हूँ।


बचपन मेरी गोद में छोड़ जा रहा है

मेरी बाँहों से उतर के दौड़ जा रहा है

आँसू हृदय में छिपाते देख रही हूँ।

बेटे की आँखों में सपने देख रही हूँ।


कभी जब झांकता है मेरी आँखों में

शायद कह रहा माँ कैसे रहूँगा वहाँ

दिल की धड़कन का रोना समझती हूँ।

बेटे की आँखों में सपने देख रही हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama