माँ जब तुमने मुझे छुआ था
माँ जब तुमने मुझे छुआ था


माँ जब तुमने मुझे छुआ था
उस छुअन से ही
ना जाने मुझे क्या हुआ था।
एक खून का गोला भर था तेरी पेट में
ना जाने कब तेरी धड़कनों ने
मेरी धड़कनों को छुआ था।
फिर करने लगा था
उछल कूद तेरी ही पेट में मैं
उस उछल कूद में पता ही ना चला
कब नौ महीने का हुआ था।
फिर तू लायी थी मुझे इस दुनिया में
और ना जाने कितना दर्द तुने सहा था
एक तरफ तेरी तड़प थी
और एक तरफ मेरी किलकारी।
सीने से लगाया था तुने
और मैं हर्षोलित हुआ था।