माँ एक रूप अनेक
माँ एक रूप अनेक
माँ में है असीम क्षमता का भण्डार।
माँ बाँटती सब में ममता अपार।।
माँ के जग मेें होते कई स्वरूप।
इस पृथ्वी पर माँ है रब का रूप।।
माँ है तो मैं हूँ, माँ से है मेरा संसार।
माँ की आँखों में छलकता कितना प्यार।।
माँ की वाणी में मधुरता शहद सी भरी।
माँ ने ही मेरे इस जीवन की नींव धरी।।
किस मिट्टी से माँ बनी कोई ना जाने यहाँ।
माँ बिना बेकार सब दौलत बेकार है सारा जहाँ।।
माँ ने भगवान से ऊँचा यहाँ दर्जा पाया है।
माँ के आँचल में बस प्यार ही प्यार समाया है।।