माँ दूर्गा... सृष्टि का आधार
माँ दूर्गा... सृष्टि का आधार
चैत्र नवरात्र का शुभारंभ, भक्तिमय हुआ संसार
जग कल्याणकारी, मांँ दुर्गा, है सृष्टि का आधार
दुख हर लेती भक्तों के, सदैव कष्ट मिटाती माता
सुख देती, जीवन देती माँ, दुष्टों का करती संहार
जब जब धरा पर, पापियों का, बढ़ा है अत्याचार,
माँ ने इनका अंत करने को, लिया काली अवतार,
सच्चे हृदय से, जो भी मांँ जगदंबा की भक्ति करे,
झोली भर जाती उसकी, मिले खुशियों का अंबार
माता के नौ स्वरूपों की पूजा का, है यह त्योहार
धूप दीप, नैवेद्य, पुष्पों से, सजे, माता का दरबार
प्रतिपदा के नाम जाना जाए, नवरात्रि प्रथम दिन
अर्धचंद्र धारी देवी शैलपुत्री करती सबका उद्धार
द्वितीय पूजा, देवी ब्रह्मचारिणी, ज्ञान का आधार
बड़ी ही श्रद्धा से, भक्तजन सजाते इनका दरबार
माता चंद्रघंटा स्वरूप की होती, तृतीय दिन पूजा
माथे पर चंद्रमा जिनके, माता शांति का अवतार
देवी कुष्मांडा मांँ दुर्गा का है रूप सिंह पर सवार
अष्ट वाहिनी देवी,कर सजे सात घातक हथियार
चतुर्थ दिन है पूजा इनकी,और पंचमी स्कंदमाता
कर कमल धारण कर आत्मा में भरे शुद्ध विचार
षष्ठी दिवस देवी कात्यायनी की पूजा करे संसार
इसी रूप में माता ने महिषासुर का, किया संहार
सप्तमी है, कालरात्रि और अष्टमी मांँ गौरी पूजन
नवमी सिद्धिदात्री का, नवरात्र भक्ति का त्यौहार।