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अमित प्रेमशंकर

Abstract

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अमित प्रेमशंकर

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माँ बिन, कौन?

माँ बिन, कौन?

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खुद गीले में सो के हमको

सूखे पे सुलाए कौन ?

छोटी-सी भी घाव लगे तो

माँ बिन अश्क़ बहाए कौन ?


भूख नहीं रहती है फिर भी

जबरन मुझे खिलाए कौन ?

हरेक निवाला तोता-मैना

कह-कर मन बहलाए कौन ?


माथे को गोदी में रख कर

बालों को सहलाए कौन?

खेल से थककर घर लौटूं तो

माँ बिन पैर दबाए कौन ?


जा रहा ग़र दूर कहीं तो

बार-बार समझाए कौन ?

थोड़ी-सी भी देर हुई तो

माँ बिन राह निहारे कौन ?


गुस्से में कभी डांट लगाकर

वापस फिर पुचकारे कौन ?

माँ तो आखिर, माँ है भाई

माँ सा प्यार लुटाए कौन ?


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