माँ और उसका प्यार निराला
माँ और उसका प्यार निराला




माँ और उसका प्यार निराला
उसने मुझे पाल-पोस के है सींचा
उसने मुझे चलना सिखाया
दुनिया से लड़ना सिखाया
माँ और उसका प्यार निराला
पाल-पोस के मुझे सँवारा
माँ के चरणों मे है जन्नत
उठती है सबसे पहले
करती है घर के काम
सर्दी, गर्मी और बारिश से
नहीं है किसी से डरती
डटकर सबसे है लड़ती
सुबह उठकर खाना खिलाती
हर छोटी चीज का ध्यान रखती
गाड़ी से भी है तेज
ऐसी मेरी माँ
चरणों मे है उसके जन्नत
माँ और उसका प्यार निराला
उसने मुझे पाल-पोस के है सींचा
कभी ना कोई बुराई मुझे छू न पाए
करती है मेरे हर दुश्मनों का सामना
माँ और उसका प्यार निराला
उसने मुझे पाल-पोस के है सींचा