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Narendra Kumar

Abstract Fantasy Inspirational

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Narendra Kumar

Abstract Fantasy Inspirational

माल

माल

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माल- माल सब कहें ऐ माल क्या चीज है,

माल के चक्कर में सब लोग संलिप्त है।

 

गाँव-घर में लोग पशु को माल कहते हैं,

गंजेड़ी गांजा को शराबी शराब को

नशेड़ी नशा को सुंदरी के दशा को लोग माल कहते हैं।

 

माल- माल सब कहें ऐ माल क्या चीज है,

माल के चक्कर में सब लोग संलिप्त है।

 

लफूआ लफुअई में माल कहता है

व्यापारी सामान को माल कहता है,

धन-दौलत को भी लोग माल कहते हैं

व्यभिचारी व्यभिचार में माल कहता है।

 

माल- माल सब कहें ऐ माल क्या चीज है,

माल के चक्कर में सब लोग संलिप्त है।

 

कोई कहे क्या माल है

कोई पूछे माल क्या हाल है,

कोई इसे प्रतिष्ठा से जोड़े

तो कोई इसे गाली की तरह इस्तेमाल करें ।

 

माल- माल सब कहें ऐ माल क्या चीज है,

माल के चक्कर में सब लोग संलिप्त है।

 

माल से लोग माल बनाए

माल के लिए लोग छटपटाएं,

माल की जिसे लत लगी

वो अपना सब कुछ दाव पर लगाए।

 

माल- माल सब कहें ऐ माल क्या चीज है,

माल के चक्कर में सब लोग संलिप्त है।

 

माल के चक्कर में नरेन्द्र चक्कर पे चक्कर खाए

कोई इसका अर्थ हमें दे बताए

कोई हम पर एहसान करे

हमारी झिझक दे मिटाए।

 

माल- माल सब कहें ऐ माल क्या चीज है,

माल के चक्कर में सब लोग संलिप्त है।


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