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राही अंजाना

Abstract

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राही अंजाना

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माहिर

माहिर

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रूप बदलने की कला में माहिर लगता है, 

ये सच उसके चेहरे से ही जाहिर लगता है, 


हमने तो समझे न जाने कितने विषय यारों,

पर वो नासमझ ही हमको साहिर लगता है, 


हम फूहड़ मोहब्बत का मकरन्द क्या जानें,

एक वही है जो हमें आईना अहिर लगता है, 


जितना करीब खींच कर रख लेना चाहें हम,

हाथों की पकड़ से वो उतना बाहिर लगता है, 


खेल-खेलना छोड़ दो राही ये मान भी जाओ, 

वो चाँद है सोलह कलाओं में ताहिर लगता है।। 


साहिर - जादूगर

ताहिर - गुणी 

अहिर - भक्त भगवान एक / अंतिम


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