Rishabh Sharma
Abstract
आसमान के सितारे भी कम पड़ गए
माँ-बाप के सहारे के आगे,
खुद ईश्वर का सहारा भी फीका है
माँ-बाप के सहारे के आगे।
तरीके अलग अलग हैं सबके
अपनों को मनाने के,
पर रूठने का ढंग तो वही
नज़रिये जुड़ा है सबके,
पर सबकी निगाहें तो वही।
हर चीज़ इश्क़ ह...
मॉडर्न वर्ल्ड
बेखौफ सोच
इन्स्पायरिंग ...
THE STORY OF ...
MAA-BAAP KA P...
कभी सोचा न था, पर आज जब देखा तो सपना सा लगा। कभी सोचा न था, पर आज जब देखा तो सपना सा लगा।
चाह है मुझे! कुछ बनने और अपने सपने पूरे करने की चाह है मुझे! कुछ बनने और अपने सपने पूरे करने की
कजरारे मेघा छाए, वसुधा को हर्षाए, कृषक नयन पाए, सुखकारी निंदिया कजरारे मेघा छाए, वसुधा को हर्षाए, कृषक नयन पाए, सुखकारी निंदिया
तूने उठा रखी जो नज़रों से कायनात की ज़मीर, कयामत में सरेआम मातम पसर जाएगा। तूने उठा रखी जो नज़रों से कायनात की ज़मीर, कयामत में सरेआम मातम पसर जाएगा।
इक नया दौर आया है सभी ने मुस्कुराहटों को सजाया है। इक नया दौर आया है सभी ने मुस्कुराहटों को सजाया है।
सावन का सिंजारा ले के आया बहना का भाई। सावन का सिंजारा ले के आया बहना का भाई।
प्राण वो तो निछावर कर गए थे कल। प्राण वो तो निछावर कर गए थे कल।
मन तुम कितने चंचल हो। मन तुम कितने चंचल हो।
क्योंकि मेरी कलम को अब भी तलाश स्याही की जारी हैं कुछ लिखने को। क्योंकि मेरी कलम को अब भी तलाश स्याही की जारी हैं कुछ लिखने को।
हमारे कातिल को जानोगे, तो मर जाओगे हमारे कातिल को जानोगे, तो मर जाओगे
जो मैं नहीं देख पाता जो तुम नहीं देख पाते जो मैं नहीं देख पाता जो तुम नहीं देख पाते
भाई बहन के मस्त मिज़ाज में, रूठने मनाने का ज़ायक़ा है ज़िंदगी ॥ भाई बहन के मस्त मिज़ाज में, रूठने मनाने का ज़ायक़ा है ज़िंदगी ॥
हंसी ख़ुशी जीने का एक सपना पालता है जवान। हंसी ख़ुशी जीने का एक सपना पालता है जवान।
असलियत से अलग थे बिल्कुल मेरे सपने पूरा कर पाऊँगा या नहीं बेचैनी रहती थी मन में। असलियत से अलग थे बिल्कुल मेरे सपने पूरा कर पाऊँगा या नहीं बेचैनी रहती थी मन म...
बिखेर दिए मोती अनमोल पत्तों पर निहारो मन ऐसी सुंदरता कुदरत की रात भर। बिखेर दिए मोती अनमोल पत्तों पर निहारो मन ऐसी सुंदरता कुदरत की रात भर।
बस राहों में मिल जाने दो हमसफर से, बस उनका इंतज़ार ही काफी है... बस राहों में मिल जाने दो हमसफर से, बस उनका इंतज़ार ही काफी है...
पर... दुःख में सदैव उपस्थित तो रहती हूँ ! पर... दुःख में सदैव उपस्थित तो रहती हूँ !
काम में मशगूल हैं इतने सुकून के पल जरूरी नहीं। काम में मशगूल हैं इतने सुकून के पल जरूरी नहीं।
नई रवायत गढ़ते ही जाएंगे पा ही लेंगे खुद को खो के। नई रवायत गढ़ते ही जाएंगे पा ही लेंगे खुद को खो के।
अपने आगे फिर ना समझते लग चढ़ जाए नशा शराब कि। अपने आगे फिर ना समझते लग चढ़ जाए नशा शराब कि।