बेखौफ सोच
बेखौफ सोच
सो गया है जग सारा
क्या केवल जाग रहा हूॅं मैं
बेहोश हो गयी है सारी दुनिया
क्या बस होश में हूॅं मैं
गिर रहे है लोग नज़र से
क्या केवल संभल रहा हूॅं मैं
सब बेवकूफी भरी मोहब्बत में उखड रहे है
पर शिद्दत भरे प्यार से टिका हूॅं मैं
वो सब बिगड़ रहे है
क्या केवल सुधर रहा हूॅं मैं
वो जुड़ रहे है पैसे से
क्या केवल दरकिनार हूॅं मैं
वो अच्छाई भुला रहे है
पर खुद मैं अच्छाई पिरो रहा हूॅं मैं
वो सोच रहे है बस खुद के सुख के
पर मैं सोच रहा हूँ दूसरो के दुख की!!!