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Kamal Choudhary

Romance

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Kamal Choudhary

Romance

लव प्रतियोगिता

लव प्रतियोगिता

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याद है वो पल, जब तुमने मुझे अपनाया था।

ना जाने वो कौन सी बात थी मेरी,

जिसने तुम्हारा दिल चुराया था।


ना गुरुर ना तेवर, बस ग़ज़ब की सादगी थी,

तभी तो मैंने तुम्हें, अपना ख़ुदा बनाया था।


हाँ मैं जानता हूँ, की मेरा दर्जा और था तुझसे,

मगर तूने ही तो, मुझे अपने जैसा बनाया था।


मैं रुका रहा राह में इसलिए,

कि तुम्हें मुझसे आगे जाने दूँ।


क्योंकि मेरे ज़मीर ने मेरे लिए,

तुम्हें जायज़ नहीं बताया था।


हमारे बीच जो रिश्ता था,

उसे समाज पूजता है।


गुरु और चेले हैं हम,

ये मैंने तुम्हें समझाया था।


मेरे समझाने से भी ना समझी तुम,

बस अपनी बात बड़ी साबित की थी।


कि प्यार का रिश्ता सबसे बड़ा होता है,

फिर ऐसा तुमने मुझे बताया था।


अब समय गुजर रहा है, महीनों से होकर,

लेकिन फिर भी मैं हिम्मत नहीं जुटा पाया था।


समाज की चिंता, लोगों के ताने,

बस यही डर, मुझे सताया था।


ना जाने एक दिन क्या हुआ,

तुम परी सी सुंदर दिख रही थी।


मन मे विश्वास भी,

और चेहरे पर तेज़ भी छाया था।


हाथ पकड़ कर मेरा,

रख दिया था दिल खोल कर तुमने मेरे सामने।


जैसे भी हो तुम मेरे हो बस,

कहते हुए पति तुमने मुझे बनाया था।


मैं कैसे समझाऊँ तुम्हें ए हुस्न परी,

कि मैं तुम्हारे लायक नहीं।


मैं पूरा इंसान भी नहीं हूँ ए नूर ऐ जन्नत,

खुदा ने तुझे तो शिद्दत से बनाया था।


है मेरे लिए धर्म संकट,

मैं कैसे निकालूँ अपनी राह।


लोगों ने गुरु को खुदा और,

खुदा ने प्यार को भगवान बनाया था।


कविता जारी रहेगी......


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